बस्तर पर्यटन.....!
27 सितंबर विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष।
आज के समय में पर्यटन उद्योग किसी भी देश या राज्य के आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। कई देशो का नाम दुनिया में सिर्फ पर्यटन के लिये जाना जाता है। हाल के कुछ सालो में भारत में भी पर्यटन उद्योग में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई। हमारे देश के कई राज्य पर्यटन क्षेत्रों में बेहद ही लोकप्रिय है जहां हर साल विदेशी सैलानी धुमने आते है।
छत्तीसगढ़ में पर्यटन उद्योग की अपार संभावना है। छत्तीसगढ़ में बस्तर एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर्यटन के लिहाज से असीम संभावनायें है। बस्तर को तो ईश्वर ने स्वर्ग बनाया है। हरी भरी वादियां, उंचे चौड़े झरने, घाटियां, ऐतिहासिक स्थल और आदिवासी संस्कृति बस्तर को पर्यटन क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान देती है।
माओवादी घटनाओं के कारण लोग बस्तर आने में कतराते थे किन्तु अब समय बदल गया है। अब अन्य राज्यों के पर्यटकों के अलावा विदेशी सैलानी भी बस्तर आने लगे है। बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़, कुटूमसर की गुफाये, बारसूर दंतेवाड़ा जैसे स्थानों ने हमेशा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। मध्य बस्तर के बाद दक्षिण बस्तर प्राकृतिक रूप से बेहद ही संपन्न है।
यहां का हांदावाड़ा जलप्रपात, नंबी जलधारा आने वाले सालो में एशियन नियाग्रा चित्रकोट जलप्रपात को भी पर्यटक संख्या में पीछे छोड़ देगा। बस्तर दशहरा, फाल्गुन मेला बस्तर की सांस्कृतिक पूंंजी है जिसे देखने और समझने के लिये विदेशी सैलानियों को आना पड़ता है। बस्तर को जानने वाला हर कोई ढोलकल जरूर जाना चाहता है।
यहां बनने वाले घडवा आर्ट के सजावटी वस्तुयें देश विदेश के लोगो के घरो में बस्तर के पहचान के तौर पर जरूर मिलती है। पर्यटन उद्योग के फलफूलने से यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो रहे है जो बेहद ही सुखद संकेत है।
मां दंतेश्वरी के आर्शीवाद से ही बस्तर आज स्वर्ग के समान सुंंदर है। मुझे पुरा यकिन है कि आने वाले सालों में बस्तर पुरे देश में पर्यटन स्थलों की सूची में सबसे उपर रहेगा। बस्तर को स्वच्छ और सुंदर बनाये रखने का दायित्व हमारा है जिसे बखूबी निभाना है।





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