18 मई 2020

बस्तर हिन्दी के प्रथम साहित्यकार पं. केदारनाथ ठाकुर एवं उनकी अमर कृति बस्तर भूषण

बस्तर हिन्दी के प्रथम साहित्यकार पं. केदारनाथ ठाकुर एवं उनकी अमर कृति बस्तर भूषण.....! 

आजादी के पूर्व हमारे देश मे आंचलिक संस्कृति विषयक प्रकाशन के जो पुनीत कार्य हुए हैं उसमे बस्तर भूषण का अपना विशिष्ट महत्व है. जनजातियो के अध्ययन की दृष्टि से बस्तर विश्व विख्यात क्षेत्र है.बस्तर भूषण पण्डित केदारनाथ ठाकुर की प्रस्तुत कृति बीसवी सदी मे प्रकाशित बस्तर विषयक प्रथम स्रोत है. 1908 इस्वी प्रकाशित बस्तर भूषण को हिन्दी का प्रथम गजेटियर भी कहा जा सकता है.मध्यप्रदेश के पूर्वान्चल महाकौशल गोंडवाना एवं छत्तीसगढ़ के राजनैतिक सांस्कृतिक इतिहास मे ठक्कुर परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती के दरबार मे महेश ठक्कुर एवं उसके परिवार का विशेष सम्मान था.सोलहवी सदी के उत्तरार्ध मे अकबर से ताम्रपत्र प्राप्त करने के बाद ठक्कुर परिवार के एक सदस्य जबलपुर से दरभंगा गये और वहां के महाराजाधिराज हुए उन्ही के दुसरे भाई एवं उनके परिवार के सदस्य इस अंचल में रहते हुए गढा मण्डला, रतनपुर,  खैरागढ राज एवं बस्तर राज्य मे राजगुरु,  राजपुरोहित,  राज ज्योतिष आदि पदो पर कार्य करते रहे एवं उनकी विद्वता का प्रभाव इस क्षेत्र के विकास मे पड़ता रहा.बस्तर के राजगुरु पण्डित रंगनाथ ठक्कुर के पांचवे पुत्र गम्भीरनाथ ठाकुर के केदारनाथ ठाकुर ज्येष्ठ पुत्र थे.केदारनाथ ठाकुर का जन्म गम्भीरनाथ ठाकुर एवं कुलेश्वरी देवी से रायपुर मे लगभग 1870 इस्वी मे हुआ. इनके माता पिता की मृत्यु एक ही दिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन रायपुर मे हुई थी. तार द्वारा सूचना पाकर केदारनाथ ठाकुर टांगा द्वारा तीन दिन में रायपुर पहुंचे.वहां उन्होंने श्रादध कर्म एवं दान पूण्य किया. वहां रायपुर मे एक तालाब खुदवाया,  उसके मध्य खम्भे पर माता पिता का नाम खुदवाया तथा तालाब का नाम रामसागर रखा.इसके अतिरिक्त तालाब के किनारे आम का बगीचा भी लगवाया.केदारनाथ ठाकुर ने अपने युवाकाल मे बस्तर भूषण ग्रंथ की रचना की जिसकी समालोचना नवम्बर 1908 मे सरस्वती पत्रिका एवं वेकटेश्वर समाचार मे प्रकाशित हुई. बस्तर के महाराजा रुद्रप्रताप देव ने इसकी प्रंशसा की है. केदारनाथ ठाकुर की प्रमुख कृतियाँ बस्तर भूषण,  भाषा पद्यमय सत्य नारायण,  बसंत विनोद है. जिनको इन्होंने केदार विनोद नामक पुस्तक मे संग्रहित किया था. जब बस्तर का नामी भूमकाल हो रहा था तब उन्होंने बस्तर विनोद नामक पुस्तक लिखा तथा ट्रेनिग क्लास मे रहते हुए उन्होंने विपिन विज्ञान नामक पुस्तक पद्य मे लिखा. सत्यनारायण कथा की रचना 1923 इस्वी मे की. केदारनाथ ठाकुर भूतपूर्व इंस्पेक्टर आफ़ फ़ारेस्टस क्योन्झर स्टेट तथा जमीदारी खरिहार एवं फ़ारेस्ट रेंजर उत्तर विभाग बस्तर स्टेट मे कार्य कर चुके थे.भारत जीवन प्रेस काशी मे बाबू श्री कृष्ण वर्मा द्वारा बसंत विनोद सन 1910 तथा बस्तर भूषण 1908 मे मुद्रित हुआ. सत्य नारायण कथा  जगदलपुर बस्तर  स्टेट प्रेस मे सन 1923 इस्वी मे छपा. विपिन विज्ञान नामी पुस्तक सम्भवत 1908 मे लिखा गया था.नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद वे केदार कुटीर जगदलपुर मे निवास करते थे. उन्होंने नवम्बर 1923 मे एक दानपत्र द्वारा अपना नीजि पुस्तकालय रुद्रप्रताप देव पुस्तकालय जगदलपुर को नयी पीढी के नाम भेंट कर दिया. पुस्तकालय के अध्यक्ष तत्कालीन बस्तर स्टेट के एडमिनिस्ट्रेटर मि. ई एस हाईड को सम्बोधित करते हुए केदारनाथ ठाकुर ने अपने दान पत्र मे लिखा है.. " मैने अपने जीवन का अधिकांश समय अध्ययन मे ही बीता दिया और अब भी बिना पढे एक दिन गुजरना मेरे लिये पहाड़ हो जाता है. मैने सन 1908 मे बस्तर भूषण नामक पुस्तक लिखी. मैं सोचता हूँ यह पुस्तक उस समय भारत मे अपने ढन्ग की प्रथम उपलब्धि थी. मुझे अहसास होता है कि उन दिनों मेरी पुस्तक बस्तर भूषण से प्रेरणा पाकर दमोह दीपक जैसी कृतियाँ अनवरित हुई. मुझे बस्तर वासियों से यह शिकायत रही है कि मेरी पुस्तक बस्तर भूषण के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जबकि विदेशियो ने बड़े चाव से मेरी पुस्तक पढी और उसे काफ़ी सराहा."दि माडिया गोण्डस आफ़ बस्तर के रचयिता पिछले समय के एडमिनिस्ट्रेटर ग्रिग्स के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए दान पत्र में केदार नाथ ठाकुर ने आगे लिखा है कि उन्होंने बस्तर भूषण पढकर उसकी अत्यधिक सराहना की थी.केदारनाथ ठाकुर ने अपने दान पत्र में स्व राजा रुद्रप्रताप देव के प्रति आभार व्यक्त करते हुए लिखा है कि उन्होंने बस्तर भूषण मे रुचि ली और उसे प्रोत्साहित किया और अन्त मे राजा रुद्रप्रताप देव पुस्तकालय जगदलपुर के नाम लिखे अपने उस दान पत्र द्वारा प केदारनाथ ठाकुर ने बस्तर भूषण तथा अपनी अन्य पुस्तको के साथ नीजि पुस्तकालय की समस्त पुस्तक सम्पति नई पीढ़ी के हित मे उक्त संस्था को अर्पित कर दी.केदारनाथ ठाकुर की मृत्यु मंगलवार दिनांक 23 जनवरी 1940 को हुई.वे आत्म विश्वास एवं दृढ निश्चय के धनी थे तथा बस्तर हिन्दी के प्रथम साहित्यकार थे इसमें कोई सन्देह नहीं. श्री लाला जगदलपुरी के शब्दो मे .."बस्तर के साहित्यिक इतिहास पर दृष्टिपात करने पर हमे बस्तर भूषण पण्डित केदारनाथ ठाकुर से पूर्व की जानकारी नहीं मिलती. केदारनाथ ठाकुर द्वारा लिखित ग्रंथ बस्तर भूषण से पूर्व प्रकाशित अथवा अप्रकाशित ऐसी किसी भी उल्लेखनीय कृति की आज तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है जिसके आधार पर बस्तर के साहित्यिक इतिहास का प्रारम्भिक काल स्थापित किया जा सके. राज दरबारो मे मानसिक दासता एवं स्वार्थ की संकीर्णता से प्रेरित केवल चारण साहित्य ही समय समय पर उच्चारित होता रहा है.
संदर्भ.. पुस्तक बस्तर भूषण - लेखक केदारनाथ ठाकुर