25 नवंबर 2017

बस्तर का बास्ता..... Bastar Ka Basta

बस्तर का बास्ता.....
Bastar  Ka Basta
- ओम सोनी

बस्तर में यहां के आदिवासी समाज पहले खान पान पर पुरी तरह से जंगलो पर ही निर्भर थे। अब भी बहुत से खादय पदार्थ जंगलो से ही प्राप्त होते है। जब बात सब्जी की हो तो यहां के आदिवासी जंगलो से मिलनी वाली सब्जियों को पहले प्राथमिकता देते है। यहां जंगलो से मिलने वाला एक ऐसे ही पौधा है जिसे खाया जाता है। वह पौधा है बांस। बस्तर में बांस की कोपलों को बडे चाव से सब्जी बनाकर खाया जाता है। इन कोपलों को बास्ता या करील कहा जाता है। 


जून से अगस्त तक बांस के झुरमुटो में नयी कोपलों (बास्ता) को निकाला जाता है। जिसे बाजार में बेचा जाता है। बास्ता में सायनोजेनिक ग्लुकोसाईठ, टैक्सीफाईलीन एवं बेंजोईक अम्ल पाया जाता है। जो कफ निःसारक, उत्तेजक, तृशाषामक होता है। इसलिये लोग इसका उपयोग खाने में करते है। बास्ता का उपयोग खाने अचार बनाने के लिये होता है।



 औशधी गुणों के कारण बडे पैमाने में इसकी तस्करी होती है। बास्ता को तोडकर इसकी तस्करी करना प्रतिबंधित है। 
तीन सौ से चार सौ रू तक प्रति टोकरी में इसे बेचा जाता है। एक टोकरी में लगभग 20 किलो बास्ता होता है।