3 मई 2019

केसरपाल के बेल फल

केसरपाल के बेल फल....!
राह चलते फोटोग्राफी 06
हमारा सफर केसरपाल पहुंच कर कब खत्म हो गया, पता ही नही चला। केसरपाल बस्तर ग्राम से 15 किलोमीटर अंदर की तरफ स्थित एक छोटा सा ग्राम है। केसरपाल को तेरहवी सदी में नाग शासकों की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है।
इस ग्राम में पुरातात्विक महत्व के ध्वंसावशेष एवं प्रतिमायें बिखरी पड़ी है। एक ध्वस्त मंदिर के अवलोकन करते समय पास ही एक बेल वृक्ष पर मेरी नजर पड़ी। बेल के फलों से लदालद यह वृक्ष, नीले आसमान के तले, अपनी हरितिमा बिखेरते हुए काफी खुबसूरत लग रहा था। मनभावन हरे रंग में रंगे बेल के फल तो हमें चिढ़ाने लग गये। इच्छा हो रही थी कि बेल के फल तोड़कर उनका शरबत पान किया जावे।

बेल एक ऐसा पेड़ है जिसके प्रत्येक चीज का सेहत बनाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में तो बेल के अनेकों फायदे की चर्चा की गई है। बेल का फल कड़ा और चिकना होता है। यह फल कच्ची अवस्था में हरे रंग और पकने पर सुनहरे पीले रंग का हो जाता है।
कवच तोड़ने पर पीले रंग का सुगन्धित मीठा गूदा निकलता है जो खाने और शर्बत बनाने के काम आता है। इसका शर्बत काफी ठंडा और फायदेमंद होता है। ये कब्ज , अपच , पेट के अल्सर , बवासीर , साँस की तकलीफ , डायरिया आदि से मुक्ति दिलाता है। वायरल और बेक्टेरियल इन्फेक्शन को रोकता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से बेल के वृक्ष का अत्यंत महत्व है, क्योंकि शिवजी की पूजा के लिए इसके तीन पते वाले गुच्छे चढ़ाए जाते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि भगवान शिव इस वृक्ष के तले ही वास करते हैं। इसके वृक्ष प्रायरू समस्त भारत में मिलते हैं। इसकी छाया बड़ी शीतल और आरोग्यकारक मानी जाती है।रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है।
जितना मुझे इस बेल फल और वृक्ष से जुड़ी जानकारी ज्ञात थी वो मैने आपसे शेयर की। आप भी कुछ बताईये बेल और इसके फायदों के बारे में।
राह चलते फोटोग्राफी की कड़ी मे यह छठवी पोस्ट है। राह चलते फोटोग्राफी मे पहले से कुछ भी तय नहीं होता कि क्या फोटो लेना है जो भी अच्छा लगे बस क्लिक कर लो।
हाँ कैमरा हरदम हाथों मे होना चाहिए , पता नहीं अगले मोड़ पर कौन सा अच्छा पल मिल जाये!