16 मार्च 2018

दंतेवाड़ा की प्रशासिका - नाग राजकुमारी मासक देवी

दंतेवाड़ा की प्रशासिका - नाग राजकुमारी मासक देवी

बस्तर में छिंदक नाग शासको के राजत्व काल में शासन के अधिकारी अथवा राज परिवार का जनता से सीधा जुड़ाव होता था। राजा से या शासन में बैठे उच्च अधिकारियों से सीधे मिलकर कोई भी अपनी बात या समस्या रख सकता था। जनहित में तत्काल उनकी समस्याओं का निदान भी किया जाता था। छिंदक नागो के राज परिवार मे महिलाओं को पुरूषों के बराबर अधिकार प्राप्त थे। राज परिवार की महिलाये शासन के कार्यो में रूचि लेती थी।
राजकीय कार्यो के सफलतापूर्वक निवर्हन में राजा की मदद किया करती थी। बस्तर में नाग राजा सोमेश्वर देव प्रथम का कार्यकाल स्वर्ण युग था। इसके शासन अवधि में प्रशासकीय कार्य सुचारू रूप से चलते थे। दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर में नाग युगीन एक शिलालेख है। यह तिथीविहिन शिलालेख तेलगु में है। उस शिलालेख में मासक देवी के नाम का उल्लेख हुआ है।



शिलालेख के अनुसार राजभूषण महाराज की छोटी बहन किसानो से अधिक कर वसूली किये जाने के कारण चिंतित होती है। शिलालेख में लिखित लेख के अनुसार - "प्रायः देखा जा रहा है कि राज्य के कर्मचारी किसानों से जबरन कर वसुली कर रहे है जिससे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पंचमहासभा की बैठक में किसानो से वसूली के संबंध में बनाये गये नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। मैं आज यह राजाज्ञा जारी कर रही हुं कि अब से किसी राजा के राज्याभिषेक पर सिर्फ उन्हीं किसानो से कर वसूली की जावेगी जो कि लंबे समय से यहां निवास कर है। इस राजाज्ञा का उल्लंघन करने वाले को मासकदेवी एवं चक्रगोटट का विरोधी समझा जावेगा।"
मासक देवी सचमूच किसानों की समस्याओ से स्वयं चिंतित भी होती है वरन् उनकी समस्या के समाधान के लिये राजाज्ञा भी जारी करती है।
सोमेश्वर देव के अन्य शिलालेखो में राजभूषण की उपाधि उसके नाम के साथ उल्लेखित हुई है। अतः मासक देवी राजा सोमेश्वर देव की बहन थी। प्रतीत होता है कि सोमेश्वर देव ने अपनी बहन मासक देवी को दंतेवाड़ा मंडल की प्रशासिका नियुक्त किया होगा, तब उसी हैसियत से मासक देवी ने यह राजाज्ञा जारी करवायी होगी। सोमेश्वर देव का कार्यकाल 1069 ई से 1108 ई तक माना गया है। यह शिलालेख निश्चित रूप से राजा सोमेश्वर देव के राज्याभिषेक वर्ष 1069 ई का होगा। चक्रगोटट आज का बस्तर था जो कि नागों के समय चक्रकोट या चक्रकुट के नाम से जाना जाता था।