प्रवीर का राजतिलक
बस्तर के महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव बस्तर को नयी दिशा देने वाले सबसे सम्मानीय व्यक्तित्व है। इनकी माता प्रफुल्लकुमारी बस्तर की पहली शासिका थी। प्रवीर के पिता प्रफुल्लचंद्र भंजदेव ओड़िसा के भंजदेव राजघराने के सदस्य थे। प्रवीर का जन्म 12.06.1929 को शिलांग में हुआ थे। ये आपस में चार भाई बहन थे। ये द्वितीय संतान एवं ज्येष्ठ पुत्र थे। 1936 ई में इनकी माता प्रफुल्लकुमारी की असमय एवं रहस्यमय परिस्थितियों में लंदन में ही मृत्यु हो गई थी, उनके निधन के बाद लंदन में ही, महारानी के अंत्येष्ठि से पूर्व ही प्रवीर का औपचारिक रूप से राज तिलक कर दिया गया। उस समय प्रवीर महज सात वर्ष के ही थे।
21 अप्रैल को अंग्रेज अधिकारी डाॅ मिशेल प्रवीर को उनके भाई बहनों के साथ बस्तर ले आये। 24 अप्रैल 1936 को राजगुरू के द्वारा पुरे रीति रिवाजों के साथ प्रवीर की ताजपोशी की गई। ताजपोशी में हजारो आदिवासी, जमींदार, मांझी, चालकी, अंग्रेज अधिकारी आदि लोगो उपस्थित थे। बेहद ही भव्य समारोह का आयोजन कर प्रवीर को बस्तर के राजगददी पर बैठाकर महाराजा घोषित किया गया। प्रवीर की अल्पव्यस्कता में रियासत का शासन एडमिनिस्टेªटर की अध्यक्षता में गठित एक समिति के द्वारा संचालित किया जाता रहा।
प्रवीर की शिक्षा दीक्षा , लालन पालन पुरी तरह से अंग्रेजी परिवेश में हुई। इनके अभिभावक के रूप में एक अंग्रेज अधिकारी गिब्सन की नियुक्ति की गई थी। राजकुमार कालेज रायपुर, इंदौर एवं देहरादुन जैसे जगहो में प्रवीर ने अपनी पढ़ाई पूर्ण की। प्रवीर को क्रिकेट एवं टेनिस खेलना बहुत पसंद था। वे एक अच्छे खिलाड़ी थे। खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन में वे भरपुर मदद किया करते थे।
प्रवीर जब अट्ठारह वर्ष के हुए और जुलाई 1947 में उन्हें पूर्ण राज्याधिकार दे दिये गये। 15.12.1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मध्यप्रांत की राजधानी नागपुर में छत्तीसगढ़ की सभी चैदह रियासतों के शासकों को भारतीय संघ में सम्मिलित होने के आग्रह के साथ आमंत्रित किया। महाराजा प्रवीर चन्द्र भंजदेव ने सहर्ष अपनी रियासत के विलयन की स्वीकृति देते हुए स्टेटमेंट ऑफ सबसेशन पर हस्ताक्षर कर दिये। 1.01.1948 को बस्तर रियासत का भारतीय संघ में औपचारिक विलय हो गया।
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