लकड़ी के पुल.....!
अत्यधिक वर्षा के कारण बस्तर की नदी नालो मे साल भर पानी रहता है. भौगोलिक स्थिति बेहद दुरुह होने एवं सदानीरा होने के कारण आज भी मार्गो मे आने वाले नदी नालो पर पुल नहीं बने हुए हैं जिससे ग्रामीणो को कठिनाईयो का सामना करना पड़ता है. आज आधुनिक युग मे बस्तर मे जहाँ तक पहुंच हुई वहाँ वहाँ नदी नालो पर छोटे बड़े पुल बन चुके हैं.
वही हम लगभग आज से दो सौ तीन सौ साल पीछे के बस्तर के आवागमन मार्गो का इतिहास देखते हैं तब लगता है कि यहां नदी नालो को पार करने का सिर्फ़ एक ही साधन रहा होगा वह है सिर्फ़ छोटी नावे... और आज भी सिर्फ़ यही विकल्प ही दिखता है.
हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि यहां ग्रामीणो ने नदियो पर लकड़ी के पुल शायद ही बनाये होगे किन्तु अबुझमाड मे एक नदी पर बना यह पुल अबुझमाडियो के परम्परागत इंजीनियरिग कौशल का जीवन्त उदाहरण हैं. इस लकड़ी के पुल के पिल्लर बेहद मजबूत है जैसे किले के कोई बुर्ज हो. उपर पैदल या सायकिल से आराम से निकला जा सकता है.
वही इन्द्रावती पर यह लकड़ी का छोटा पुल भी बेहद मजबूत है जिस पर दोपहिया वाहन भी बड़ी आसानी से निकल जाती है. अंग्रेजी इंजीनियरो जिन्होंने यहाँ के नदियो पर मजबूत पुलो का निर्माण किया उनसे ज्यादा कुशल यहाँ के ग्रामीण है. जिसका प्रमाण लकड़ी के ये पुल है.
बस्तर मे राजा रुद्रप्रताप देव के शासनकाल मे लगभग 120 साल पहले प्लम्बली ने भी बस्तर मे लकड़ी के पुलो का निर्माण किया. उन्होंने लकड़ी के इतने मजबूत पुल बनाये थे जिस पर बड़े बड़े ट्रक आसानी से निकल जाते थे. उस समय पुरे बस्तर मे लगभग 1500 सौ लकड़ी के पुल बनाये गये थे.
ओम!


0 comments:
एक टिप्पणी भेजें