29 नवंबर 2019

लीम दरहा जलप्रपात, केशकाल क्षेत्र, कोंडागांव

KONDAGAON DIARIES: CHAPTER 01
लीम दरहा जलप्रपात, केशकाल क्षेत्र, कोंडागांव


शोध का एक नियम होता है ! पहले विषय चयन, फिर साहित्य अवलोकन, फिर कार्यप्रणाली, फिर कार्य! आज मेरे लिए भी वैसा ही मौका था! हमेशा मेरे दिल में ख्याल आता था, जिस जगह का एक घाट(केशकाल घाट) ही इतना सुन्दर है, की छ.ग. के सबसे सुन्दर घाट में से गिना जाता है, क्या ऐसे सुन्दरतम स्थल में और आश्चर्य नहीं होंगे? क्या वहां और दर्शनीय स्थल          नहीं होंगे ?
मेरे एक सहयोगी श्री कैलाश बघेल ने मुझे इस रविवार कोंडागांव आमंत्रित किया ! मेरे लिए यह प्रस्ताव काफी उत्साहजनक था, क्यूंकि आज मुझे मेरे सवालों के जवाब मिलने वाले थे ! तय तो यह था जगदलपुर से केशकाल आते हुवे हम लोग दाए मुड़ेंगे, पर केशकाल से हमारे साथ पथप्रदर्शक के तौर पर जुड़े दो शिक्षकगण श्री बलवंत सिंह पैकरा एवं श्री टीकम सोरी ने हमारी दिशा ही बदल दी !

यहां से हमारा रोमांचक सफर चालू हुआ ! सर्वपप्रथम हम लोगों ने ग्राम बटराली होते हुवे केशकाल क्षेत्र के मारी क्षेत्र में प्रवेश किया! “मारी” शब्द का अर्थ है पठार या पाट क्षेत्र, जिसके चारों तरफ सकरे एवं पूर्ण ऊर्ध्वाधार किनारों के कारण इस क्षेत्र के नाले पहाड़ों/चट्टानों से उतरकर अप्रितम, अद्भुत, अविस्मरणीय जलप्रपात बनाते हैं!
लीम दरहा जलप्रपात का ‘नाम इस सूची में सबसे पहले आता है! आमा नाला नामक नाले का जल बावनीमारी ग्राम के निकट लगभग २५ फिट से गिरकर इस नयनाभिराम प्रपात का निर्माण करता है! यह जलप्रपात इतना ख़ूबसूरत है की जहां प्रपात के ऊपर से सारा निकटवर्ती क्षेत्र दिखलाई पड़ता है! वहीँ निचे उतरने पर ३०-३५ फ़ीट चौड़े एवं २०-२५ फ़ीट ऊँचे प्रपात के अवलोकन होते हैं! प्रपात का जल ठीक निचे गिरकर एक गोलाकार कुंड का निर्माण करता है!
आप लोगों को यह स्पष्ट कर दूँ की यह बारहमासी प्रपात इतना अल्पज्ञात है की बावनीमारी पंचायत के बाहर किसी को इस अद्भुत स्थान के बारे में जानकारी नहीं है ! बारहमासी झरना होने के कारण यहां सदैव जल रहता है, परन्तु ग्रीष्मकाल में इसका सौंदर्य क्षीण हो जाता है !
आभार: अंत मे मै श्री कैलाश बघेल, शिक्षकगण श्री बलवंत सिंह पैकरा एवं श्री टीकम सोरी जी का ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूंगा, जिनके कारण मेरी यह यात्रा सफल हो सकी !
कोंडागांव जिले से लौटकर जितेंद्र नक़्क़ा