KONDAGAON DIARIES: CHAPTER NO. 04
"उपरबेदी जलप्रपात", केशकाल, कोंडागांव जिला
कभी सुना है ऐसा जलप्रपात जहां पहुंचना इतना दुश्वार हो जाए, की आपको उसके दीदार के लिए निचे उतरने का स्थान ही ना मिले, उपरबेदी ऐसी ही एक जगह है, जहां एक झरना खोजने जाओ, तो दो-तीन झरने और मिलने चालू हो जाते हैं, बस रास्ते ही नहीं मिलते !
केशकाल से बटराली होते हुवे जब हम लोग (श्री कैलाश बघेल, श्री टीकम सोरी सर, श्री बलवंत पैकरा सर और मैं) कुवे-मारी पार करते हुवे उपरबेदी ग्राम पहुंचे, तब हमे निकट के ग्रामीणों ने बताया की यहां एक छिपा हुवा झरना है, जिसे "उपरबेदी जलप्रपात" कहा जाता है! यहाँ स्थानीय नाला लगभग ४०-५० फिट निचे गिरकर एक अत्यंत मनोरम निर्झर का निर्माण करता है ! इस नाले का जल जिस खाई में गिरता है, उसके ठीक सामने एक बड़ी और गहरी वादी चारो ओर से नज़र आती है ! वादी भी इतनी गहरी और खड़ी उतरन वाली की अच्छे अच्छों के होश फाख्ता हो जाएँ ! हम लोग निचे जाने का रास्ता ढूंढते रह गए, और गलती से एक और अनदेखे झरने के दीदार हो गए ! इसे कहते हैं एक के दाम में दो (फायदे) !
उपरबेदी झरने के दो सोपान हैं, जिसमे से प्रथम सोपान अधिकतम ८-१० फिट ऊँचा है, जिसके बाद का सोपान मुख्य सोपान है, और लगभग ४०-५० फिट ऊँचा है! यह प्राकृतिक स्थल इतना ख़ूबसूरत है की इसके सामने मानव-निर्मित सबसे सुन्दरतम रचना भी फीकी लगने लगे !
केशकाल से लौटकर जितेन्द्र नक़्क़ा

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