KONDAGAON DIARIES: CHAPTER 02
"मिरदे जलप्रपात" (केशकाल क्षेत्र, कोंडागांव)
पिछला रविवार मेरे लिए यादगार रहा! जहां कोंडागांव जिला जाना हुवा, वहीँ अनेकों आश्चर्यों से भी सामना हुवा! श्री कैलाश बघेल, शिक्षकगण श्री बलवंत सिंह पैकरा एवं श्री टीकम सोरी जी के साथ जैसे ही लीमदरहा जलप्रपात देख कर हम आगे बढे! यह निश्चित हुवा की अगले आश्चर्य के रूप में हम लोग मिरदे जलप्रपात से मुखातिब होंगे !
मेरे लिए तो सभी नाम नए और जगह अनजान थी, पर अनजाने आश्चर्यों का सामना करने की अनुभूति ही अलग होती है ! मेरे लिए यह काफी शिक्षाप्रद और चुनौतीपूर्ण था!
बावनीमारी ग्राम से आगे बढ़ते हुवे हम लोग कुवे-मारी ग्राम पहुंचे, जिसके निकट ही लगभग ०२ किलोमीटर जाने पर वहां का स्थानीय नाला(ग्रामीण इस नाले को मिरदे नाला के नाम बुलाते हैं!) लगभग ७० फिट निचे सीढ़ीनुमा अंदाज में गिरकर एक नयनाभिराम प्रपात का निर्माण करता है, जिसे ग्रामीण मिरदे जलप्रपात के नाम से बुलाते हैं! यह जलप्रपात इतना ख़ूबसूरत और ऊँचा है की जहां प्रपात के ऊपर से सारा निकटवर्ती क्षेत्र दिखलाई पड़ता है! वहीँ निचे उतरने पर सीढ़ीनुमा अंदाज में गिरती जलधारा निचे के सोपानों में और चौड़ी नज़र आने लगती है !
ऊपर से निचे की ओर गिरती जलधारा को देख कर ऐसा लगता है मानो किसी ने जल की धारा नहीं बल्कि दूध की धारा बहा दी हो! आखिरी सोपान की ऊँचाई ३०-३५ फिट और ढलान ६० डिग्री की है, जिसे साहसी पर्यटक चढ़ने की कोशिश कर सकते है! इसके ऊपर के सोपान सीधे उर्ध्वाधार है, जिनके लिए कोई अनुभवी पर्वतारोही ही उपयुक्त होगा! यह स्थान ट्रैकिंग के लिए अतिउपयुक्त है, जहां प्रपात के निचले भाग में पहुंचने का मार्ग अत्यंत दुर्गम है, पास की ढलान वाली चट्टानों को पगडंडी बनाकर निचे उतरना पड़ता है, जो काफी रोमांचक, चुनौतीपूर्ण और साहसिक होता है !
यह एक बारहमासी जलप्रपात है और निकटस्थ ग्रामीणों में प्रसिद्ध है, परन्तु कुवेमारी ग्रामपंचायत से बाहर विरले ही इसके बारे में जानकारी रखते हैं! बारहमासी झरना होने के कारण यहां सदैव जल रहता है, परन्तु ग्रीष्मकाल में इसका सौंदर्य क्षीण हो जाता है !
आभार: अंत मे मै श्री कैलाश बघेल, शिक्षकगण श्री बलवंत सिंह पैकरा एवं श्री टीकम सोरी जी का ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूंगा, जिनके कारण मेरी यह यात्रा सफल हो सकी !
कोंडागांव जिले से लौटकर जितेंद्र नक़्क़ा



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