बस्तर में प्रचलित थी घैटीपोनी की अजीब प्रथा......!
बस्तर का इतिहास आज भी बेहद ही रहस्यमयी है। इसके कई रहस्य इतिहास के गर्त में छिपे हुये है। शोधकर्ता जब बस्तर के अनंत सागर रूपी इतिहास के गहराई में गोता लगाता है तो उसे ऐसे कई पुरानी घटनायें ज्ञात होती है जो कि पुरे विश्व में सिर्फ बस्तर में घटित हुई है। ऐसे कई रस्मों एवं प्रथाओं की जानकारी मिलती है जो सिर्फ बस्तर में प्रचलित रही है। ऐसी अजीब प्रथा बस्तर में प्रचलित थी जिसे जानने के बाद यह विश्वास हो जाता है कि वाकई में बस्तर का इतिहास का काफी रोचक और रहस्य मयी है। ऐसी ही एक अनोखी प्रथा थी घैटीपोनी की।
स्त्रियों की बेचने की इस प्रथा को बस्तर इतिहास में घैटीपोनी की प्रथा के नाम ही जाना जाता था। ब्रिटिशकालीन बस्तर में अंग्रेज एजेंट चैपमेन ने 1898 ई की अपनी टिप्पणियों में रूद्रप्रतापदेव युगीन बस्तर में प्रचलित एक विचित्र प्रथा का उल्लेख किया है - राजा की आमदनी का एक अन्य साधन भी था। वह सुंडी कलार धोबी पनरा इन चार जातियों की विधवा या परित्यक्ता स्त्रियों को बेच सकता था। वह इस बात की खोज के लिये अपने दूत भेजा करता था कि ऐसी विधवा स्त्रियां कहां कहां है।
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| छायाचित्र सौजन्य शकील रिजवी भाई |
वे स्त्रियां अपने-अपने परगने के मुख्यालय में बुलाई जाती थी तथा उनकी नीलामी होती थी। खरीददार उसी जाति का होता था। यह प्रथा घैटीपोनी के नाम से जानी जाती थी जिसका अर्थ है कि कुटूम्ब की बहाली। यदि विधवा का बहनोई राजा का थोड़ा बहुत नजराना देकर विधवा को स्वीकार कर लेता तो वह स्त्री उसको मिल जाती थी। राजा को यह पूरा अधिकार था कि वह स्त्री को अधिक दाम लगाने वाले को दे।
जब कोई स्त्री अपने पति के साथ दुव्र्यवहार करती थी, तब कभी कभी उसका रूष्ट पति उसे नीलाम करने के लिये राजा को खुद देता था। (बस्तर का मुक्तिसंग्राम पृ 166 हीरालाल शुक्ल) घैटीपोनी की प्रथा भी बदलते समय के साथ बस्तर से लुप्त हो गई है। ऐसी बहुत सी कई प्रथायें थी जो आज भी लोगों के लिये आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय है। घैटीपोनी प्रथा तो बस्तर के रहस्यमयी इतिहास की एक बानगी भर है।
बहुत ही प्यारे चित्रों के लिये शकील रिजवी भाई को बहुत बहुत आभार
ओम सोनी दंतेवाड़ा

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