सेंट जार्ज आफ जेरूशलम - बस्तर राजा रूद्रप्रतापदेव........!
बस्तर के राजा भैरमदेव की मृत्यु 28 जुलाई 1891 ई में हुई। उस समय रूद्रप्रतापदेव छः वर्ष के थे। इनका जन्म 1885 में हुआ था। ब्रिटिश शासन ने यद्यपि रूद्रप्रताप देव को उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिया था तथापि इनकी अल्पव्यस्कता में नवंबर 1891 से 1908 तक बस्तर का शासन अंग्रेजों के अधिकार में था। रूद्रप्रताप देव की शिक्षा दीक्षा रायपुर के राजकुमार कालेज में हुई थी। (रसेल 1906)
तेईस वर्ष की अवस्था में 1908 ई में रूद्रप्रतापदेव के बस्तर के करद राजा के रूप में अभिषिक्त किया गया थ। (दि ब्रेत 1909) इससे पूर्व 1891 ई से 1908 ई तक बस्तर प्रशासन पर सोलह वर्षों से भी अधिक काल तक अंग्रेजों का ही वर्चस्व रहा था। रूद्रप्रताप का प्रथम विवाह बामड़ा नरेश सुढलदेव के.सी.आई.ई की राजकन्या चंद्रकुमारी देवी के साथ हुआ था। (केदारनाथ ठाकुर 1908) किन्तु 1911 में महारानी की मृत्यु हो गई । इसके बाद महाराज का पुर्नविवाह पुवांया नरेश राजा फतेहसिंह की कन्या कुसूमलता देवी से 1912 ई को हुआ। (भंजदेव 1963) रूद्रप्रताप देव का कोई पुत्र नहीं था। उनकी मृत्यु के बाद प्रथम रानी से उत्पन्न महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी (1921-1936) को उत्तराधिकारिणी स्वीकार किया गया।
अंग्रेजों की प्रतिसदभाव के कारण 1914 के विश्व युद्ध में इन्होने अंग्रेजी सेना की बहुत सहायता की थी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूद्रप्रताप देव ने काष्ठ निर्मित एक बोट एबंुलेंस भी अंग्रेजों की सहायता के लिये भेजी थी। इस मोटर चलित एंबुलेंस का नाम दी बस्तर रखा गया था। युद्ध समाप्ति के बाद राजा की सज्जनता एवं भरपूर मदद के लिये ब्रिटिश हुकुमत ने राजा को सेंट जार्ज आफ जेरूशलम अर्थात जेरूशलम का संत की उपाधि प्रधान की थी। (भंजदेव 1963)16 नवंबर 1921 की रात्रि राजा रूद्रप्रतापदेव की मृत्यु हो गई। (हीरालालशुक्ल - बस्तर का मुक्ति संग्राम)
ओम सोनी दंतेवाड़ा 9406236396



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