KONDAGAON DIARIES: CHAPTER NO. 05
रमणीय "आमा दरहा जलप्रपात", केशकाल, कोंडागांव जिला
इस तरह ०१ सितम्बर २०१९ के दिन को मेरी यादगार सफर का अंत हुवा ! आखिर में जब हम लोग (श्री कैलाश बघेल, श्री टीकम सोरी सर, श्री बलवंत पैकरा सर और मैं) वापस केशकाल के लिए लौटने लगे, तब हमे श्री सोरी एवं पैकरा सर ने बताया की ग्राम बटरली के घाट वाले रोड के कुछ पहले आमा नाला में दो और झरने बनते हैं, जो की पूर्णतः बरसाती झरने हैं तथा ग्रीष्म ऋतू के आगमन होते होते सुख जाते हैं, वरन वर्षा ऋतू एवं शरद ऋतू में इनका सौंदर्य अकल्पनीय, अकथनीय, अवर्णनीय होता है! वैसे यह नाला(पूर्णतः कुवेमारी-बावनिमारी ग्राम पंचायत से लगा क्षेत्र) घाट के तेज खड़ी ढाल का अनुसरण करता है ! यही कारण है की आमा नाला पर हमे २-३ से अधिक रमणीय जलप्रपातों के अवलोकन होते हैं!
आमा नाला इस स्थान पर लगभग लगभग १५ फिट से गिरकर एक सुन्दर झरने का निर्माण करता है, जिसे आज तक कोई नाम नहीं दिया गया है, पर आमा नाला की खाई पर बनने के कारण इसे आमा दरहा भी कहा जाता है! कुछ ग्रामीण लिमदरहा झरने के नज़दीक होने के कारण इसे लिमदरहा द्वितीय - लिमदरहा तृतीय झरना भी बुलाते हैं! प्रथम झरने की गहरायी लगभग ३५-४० फिट की है, किन्तु इसके निचे उतरने का रास्ता अत्यंत दुष्कर है! सभी तरह से उर्ध्वाधार किनारों के कारण हम लोग निचे नहीं उतर पाए !
द्वितीय झरना लगभग १५ फिट ऊँचा है तथा इस जगह निचे उतरकर काफी दूर तक झरने से बहते आमा नाले के जल को ट्रेक किया जा सकता है! जलप्रवाह का मार्ग पूर्ण रूप से पाषाण बाधित रह्ता है, अतः यह स्थान आपके trekking skills की अच्छी परीक्षा लेगा !
Last but not the least, अंत में मैं श्री कैलाश बघेल, श्री टीकम सोरी सर एवं श्री बलवंत पैकरा सर का ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूंगा, जिनके कारण मेरी अनुभव यात्रा सफल हो सकी !
केशकाल से लौटकर जितेन्द्र नक़्क़ा








