2 जनवरी 2020

बस्तर में अब नहीं बनते है मिट्टी के दो मंजिले मकान

बस्तर में अब नहीं बनते है मिट्टी के दो मंजिले मकान....!

अपना घर सभी को प्यारा होता है। भले ही वह आलीशान हो या एक साधारण सी झोपड़ी। देश काल की परिस्थिति के अनुसार अलग अलग क्षेत्रों में घरों की बनावट और और उसमें प्रयुक्त सामग्री में भिन्नता दिखाई पड़ती है। साधारणतया घरों का आकार प्रकार एवं घर बनाने की सामग्री का चयन मौसम की अनुकूलता के हिसाब से तय होता रहा है।
किन्तु समय के साथ घर बनाने की तकनीक और सामग्री में अब बहुत परिवर्तन आ चुका है। प्रारंभ में लकड़ी से होते हुए मिट्टी और आज सीमेंट इंटों से बने पक्के मकानों का जमाना है। घरों के निर्माण और उनके बनावट में आमूल चूल परिवर्तन से बस्तर भी अछूता नहीें है।

बस्तर के अंदरूनी गांवों में पहले लकड़ी और मिट्टी से बने घर देखने को मिलते थे वहीं अब पक्के मकान बनने लग गये है। कुछ गांवों में मिट्टी से बने मकान आज भी देखने को मिलते है। ये घर प्रायः दो या तीन कमरों के ही होते है।
बिना चार दिवारी का लकड़ी के खंबो पर टिका एक कमरा घर का प्रमुख हिस्सा होता है। जिसमें प्रायः घरेलू कार्य निपटाये जाते है। बस्तर के गांवों में लगभग सभी जगह एक मंजिला घर ही देखने को मिलता है। कुछ प्रमुख जगहों पर प्रतिष्ठित लोगों का घर दो मंजिला होता था।
मिटटी से बने हुए ऐसे दो मंजिले घर अब बस्तर में बहुत ही कम देखने को मिलते है। इन दुमंजिला मिटटी के मकानों की जगह अब पक्के आलीशान बहुमंजिला घरों ने ले ली है।
दंतेवाड़ा के पास बालूद में मिट्टी से बना हुआ दो मंजिला घर आज भी स्थित है। इस मकान की दीवारे पूर्णतः मिट्टी की बनी हुई है। ये दीवारे काफी मोटी है। बीच में लकड़ी का पाटेशन तैयार कर इसे दो मंजिला बनाया गया है। ऐसे मकान सिर्फ संपन्न लोगों या इलाके के मुख्य व्यक्ति के ही होते थे।
वैसे यह मकान अब काफी पुराना एवं जर्जर हो चुका है। मिट्टी से बने ऐसे दो मंजिले मकान बनाने का यह तरीका बस्तर में अब चलन में नही रहा। कुछ सालों में शायद यह मकान भी सिर्फ तस्वीरों में रह जायेगा।