मेड़ारम जातरा - आदिवासियों का ऐतिहासिक कुंभ.......!
मेड़ारम समक्का सारलम्मा जातरा दक्षिण भारत में आदिवासियों का सबसे बड़ा जातरा है। यह एक तरह से कुंभ मेले के समान है। तेलंगाना के वारंगल के पास मेड़ारम एक छोटा सा ग्राम है। इस ग्राम में समक्का सारलम्मा देवी का देव स्थान है। हर दो साल में यहां पर समक्का सारलम्मा देवी के सम्मान में विशाल जातरा का भव्य आयोजन होता है। इस जातरा में लगभग 01 करोड़ से अधिक लोग सम्मिलित होते है। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के हजारो लोग इस जातरे में शामिल होते है। पुरे विश्व में मेड़ारम जातरा आदिवासियों का सबसे बड़ा संगम है। कुंभ के बाद मेड़ारम जातरा ही इतना बड़ा धार्मिक उत्सव है जिसमें करोड़ो लोग सम्मिलित होते है।
समक्का सारलम्मा ये दो महिलाये थी उन्होने कोया आदिवासियों के भलाई के लिये अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। ऐसी किंवदंतीं है कि दंडकारण्य के जंगलो में कोया आदिवासियों का समूह भ्रमण कर रहा था तब उन्होने देखा कि एक छोटी बच्ची शेरनी के साथ खेल रही थी। तब उन आदिवासियों ने उस बच्ची की अदभूत वीरता से प्रभावित होकर उसे गोद ले लिया और उसे नाम दिया - समक्का
समक्का जब बड़ी हुई तो उसका विवाह पास के दुसरे समुदाय के मुखिया से उसका विवाह कर दिया। विवाह उपरांत समक्का की एक बेटी हुई जिसका नाम सारलम्मा रखा गया। एक बार गोदावरी नदी पुरी तरह से सुख गई थी जिसके कारण कोया आदिवासियों के खाने के लाले पड़ गये थे। उसी समय काकतीय राजा प्रतापरूद्र ने कर में वृद्धि कर दी जिसे कोया समुदाय देने में समर्थ नहीं थे। समक्का और सारलम्मा दोनों ने इस करवृद्धि का डटकर विरोध किया। काकतीय राजा ने आदिवासियों को सबक सिखाने के लिये अपनी सेना भेजी। दोनों पक्षो में भयंकर लड़ाई हुई, तब इस युद्ध में समक्का देवी घायल हो गई।
उसने आदिवासियों से कहा कि जब जब आप मुझे याद करोगे तब तब मैं आपकी रक्षा करूंगी। मैं श्राप देती हूॅ कि काकतीय राजवंश का विनाश हो जाये। यह कहकर वापस जंगल में गायब हो गई। जब कोया आदिवासियों ने जंगल में समक्का को खोजने का प्रयास किया तो उन्हे चुड़ियां और एक बाघिन के पैर निशान ही देखने को मिले। इसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों ने वारंगल पर आक्रमण कर काकतीय राजवंश का साम्राज्य ध्वस्त कर दिया। इसी घटना के बाद समक्का सारलम्मा देवी की याद में प्रति दो वर्ष में जातरा का आयोजन किया जाता है। इस जातरे में देवी को गुड़ अर्पित किया जाता है। इस साल 05 से 08 फरवरी तक मेड़ारम जातरा आयोजित है।

0 comments:
एक टिप्पणी भेजें