कमर का आभूषण - झलाझल......!
बस्तर की धातु शिल्पकला बेहद ही उन्नत है। यहां आज भी पीतल, कांसा, तांबा जैसे धातुओं से बने ऐसें कई आभूषणों का प्रयोग किया जाता है जो कि बेहद ही दुर्लभ है। यूं कहे कि अन्यत्र जगहों में ऐसे आभूषण देखने को नहीं मिलते है। ऐसा एक आभूषण है कमर में बांधा जाने वाला कमर पटटा आभूषण। कमर में आपने सामान्यतः करधन ही पहने देखा होगा । किन्तु कमर में झलाझल भी पहना जाता है। यहां स्थानीय भाषा में इसे घुलघुली भी कहते है।
यह आभूषण मंडई जात्राओं में सिर्फ सिरहा द्वारा पहना हुआ देखा जा सकता है। सिरहा अपने परंपरागत वेशभूषा एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर मंडई जात्रा में सम्मिलित होते है। इन आभूषणों में कमर पटटा भी प्रमुख है। कमर पटटा एक चैन की तरह होता है जिसमें गोल गोल पदक होते है और उन पदकों में घुंघरू लटकते रहते है। इन घुुुंघरू और पदको को गुलुरका कहते है। कहीं कही झलाझल का नाम कटिकिंकणीमाल में उल्लेखित है। देवी आने पर सिरहा जब नृत्य करते है तो कमर पटटे के घुंघरूओं से भी पवित्र संगीत की धुने निकलती रहती है।



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