दलहन संग्रहण का पारम्परिक पात्र- चिपटा.....!
अधिक मात्रा में होने वाली फसलें धान, अलसी, मंडिया, कोदो वगैरह बस्तरवासी ढुसी,डोलगी आदि में संग्रहित करते हैं....लेकिन दलहन आदि सुरक्षित रखने के लिए ये अपने पारंपरिक-प्राकृतिक पात्र "चिपटा" का उपयोग करते हैं.....
पत्तों का आपस में लिपटा होना चिपटा कहलाता है.....इसीलिए ही यहाँ पत्ता गोभी "चिपटा गोभी" कहलाता है.....सिंयाड़ी के पत्तों को परस्पर जोड़कर एक बर्तन की शक्ल दी जाती.....जिसके भीतर उड़द,मूँग,चना आदि डालकर व ऊपर से पात्र का मुँह बंद कर फसल को सुरक्षित रखा जाता.....
संलग्न तस्वीर उड़ीद चिपटा है.....
तस्वीर:-Harendra Nag
लेख साभार.. अशोक कुमार नेताम

0 comments:
एक टिप्पणी भेजें