14 मार्च 2018

बारसूर का भैरव मंदिर


झाड़ियो में छिपी ऐतिहासिक विरासत - भैरव मंदिर


बारसूर ना जाने कितने ऐतिहासिक धरोहरों को अपने अंदर छिपाये हुये है। केदारनाथ ठाकुर ने अपनी पुस्तक बस्तर भूषण में प्राचीन बारसूर में कभी 147 मंदिर एवं 147 तालाब होने की बात कही थी। किन्तु समय की मार एवं बाहय आक्रमणों में बहुत से ऐतिहासिक मंदिर ध्वस्त हो गये। लोगो की अनदेखी के चलते ध्वस्त अवशेष अब जमींदोज हो चुके है। कुछ ध्वस्त मंदिरों को यहां के निवासियों ने अपनी आस्था के चलते सहेज कर रखा है। उन ध्वस्त मंदिरों को पुनः बिखरने से बचाने के पीछे प्रकृति का भी अहम योगदान है।


चारों तरफ फैली कंटिली झाड़ियों ने अपने अंदर अनदेखे इतिहास को लोागो से छुपाये रखा है। बत्तीसा मंदिर के पास ही एक ऐसा प्राचीन ध्वस्त मंदिर है जो कि पुरी तरह से झाड़ियों में की ओट में छिपा हुआ है। यह मंदिर मुख्य सड़क से बेहद ही पास है। आज तक बारसूर में कई कार्यक्रम आयोजित होने के बाद भी मंदिर के आसपास की झाड़ियों को काटा नहीं गया है जिसके कारण लोगो को इस मंदिर की कोई जानकारी नहीं है। मैं स्वयं कई बार बारसूर गया हुं और जाते भी रहता हूं। मैने स्वयं पहली बार यह मंदिर देखा। सच में इतिहास हमारे आसपास ही है परन्तु हम आंखे होने के बावजूद भी उसे देख नहीं पाते है। बहुत ही कम लोगो ने इस मंदिर को देखा है। 

बत्तीसा मंदिर से थोड़ी दुर आगे दायी तरफ घनी झाड़ियों में यह ध्वस्त मंदिर है। यहां के स्थानीय निवासियों ने इस मंदिर के प्रस्तरों को सहेज कर रखा है। जिसके कारण यह मंदिर अन्य ध्वस्त मंदिरों की अपेक्षा सही अवस्था में है। यह एक छोटा सा मंदिर था जो गर्भगृह  पर आधारित था। मंदिर के अवशेषो को जोड़कर सहेजा गया है। यह मंदिर लगभग 5 फीट उंचा है। इसके अंदर बैठकर ही प्रवेश किया जा सकता है। मंदिर के अंदर उध्र्व रेतस भैरव की नग्न प्रतिमा रखी हुयी है। 

ऐसी ही विशाल प्रतिमा भैरमगढ़ के भैरम बाबा मंदिर के प्रांगण में स्थापित है। यह मंदिर भी लगभग 10-11 वी सदी में निर्मित हुआ होगा। आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को पुरी तरह से नष्ट किया है। ग्रामीणों ने पुनः इसके प्रस्तरों को जोड़कर इस प्राचीन धरोहर को सुरक्षित बनाये रखा है।



बारसूर में अब भी बहुत से मंदिर झाड़ियों में , मिटटी के टीलो में दबे हुये है। बारसूर में सिरपुर की तर्ज पर खुदाई करने से और भी प्राचीन मंदिर, प्रतिमायें , शिलालेख मिल सकते है। जिससे नागयुग एवं अन्य राजवंशों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो सकती है। प्रशासन को भी बारसूर में ऐसे ऐतिहासिक मंदिरों के आसपास साफ सफाई करवाकर पहुंच मार्ग बनाना चाहिये।