सड़क किनारे बिकते चार पाक (चिरोंजी) ...!
राह चलते फोटोग्राफ़ी 01
कल घर से लगभग कुछ किलोमीटर दुर जगदलपुर रोड मे, सड़क किनारे चार बेचते ग्रामीण महिलाओ से मुलाकात हुई. आम के पेड़ की छाँव मे, साथ बैठे छोटे बच्चे भी स्कूल की छुट्टी का आनंद उठाते हुए माता पिता का हाथ बंटा रहे थे.
अभी चार फ़लो का सीजन है. जंगल मे चार के पेड़ फ़लो से लदे हुए हैं. ग्रामीण बाज़ारो मे या सड़क किनारे फ़लो के बेचने लाते है. इन फ़लो के छोटे बीजो के अंदर जो गिरी होती है जिसे चिरोंजी कहते हैं. एक समय बस्तर के शोषण की पराकाष्ठा नमक के बदले चिरोंजी मे ही निहित थी. अब समय कुछ बदला है और बहुत कुछ बदलना बाकि है.
चार के फ़लो को खाना है तो यही सही समय है बाकि तो चार के पेड़ भी दिन ब दिन कम होते जा रहे है. इन फ़लो की मिठास मे बस्तर की मिट्टी की महक भी मिली हुई है.
राह चलते फ़ोटोग्राफ़ी की कड़ी मे यह पहली पोस्ट है. बाईक से कुल 70 किलोमीटर की यात्रा करते समय मैने जो देखा उसे उसी अवस्था मे कैमरे मे कैद किया.
राह चलते फ़ोटोग्राफ़ी मे पहले से कुछ भी तय नहीं होता कि क्या फोटो लेना है जो भी अच्छा लगे बस क्लिक कर लो.. हाँ कैमरा हरदम हाथों मे होना चाहिए , पता नहीं अगले मोड़ पर कौन सा अच्छा पल मिल जाये.


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