16 मई 2018

चक्रकोट के स्वामी नाग सोमेश्वर की माँ गुंड महादेवी

गुंडमहादेवी ......!

बात सन 1106 की है. चक्रकोट के स्वामी नाग सोमेश्वर अब लगभग 80 वर्ष के हो चुके थे, एक शतक की आयु पुरी कर चुकी माँ गुंड महादेवी अब भी बेटे सोमेश्वर की कदम कदम पर मार्गदर्शन करती थी. बस्तर भूषण पेज कहता है कि कलचुरी राजा युवा जाजल्यदेव ने अपने पिता की हार का बदला लेने के लिये चक्रकोट पर भीषण आक्रमण कर दिया ,तब सोमेश्वर के बुढ़े बाजुओ मे अब वो बल नही रहा जब वो कौशल के छ लाख गांवो का स्वामी था. वाणी मे वो हुंकार नही थी जो सेना का मनोबल उठा सके , बेटा कन्हर उतना योग्य नही था. इन सब कारणो से जाजल्यदेव चक्रकोट (बस्तर ) मे अन्दर तक घुस आया , चक्रकोट हार गया , वृद्ध नाग सोमेश्वर परिवार सहित बन्दी बना लिया गया , 



बस्तर भूषण पेज Bastar Bhushanफिर कहता है कि बेहद बुढ़ी गुँड महादेवी के संस्कारो एवँ लालन पालन ने सोमेश्वर को चक्रकोट के गददी पर बैठाया , वो मां अपने बेटे को मरता कैसे देख ले , गिर पड़ी जाजल्यदेव के पैरो मे , गिड़ गिड़ाने लगी , बुढ़ी मां की ममता आंसुओ से बहने लगी , यह सब देख जाजल्यदेव पिघल गया , आँखो से उसके आंसुओ की धार बहने लग गई , मन ग्लानी से भर गया , अपनी मां दिखाई देने लगी उन बुढ़ी आँखो मे , हे भगवान कैसा पाप कर गया , इस बुढ़ी मां को इस उम्र मे रुला दिया झुका दिया , नरक मे भी शायद जगह ना मिले , माफ कर दिजिये मां ,मैं आपका अपराधी हूँ , माफी मांगने गुंडमहादेवी के पैर मे गिर पड़ा जाजल्यदेव ,गले लगाकर उसे गुंडमहादेवी ने माफ किया , जाजल्यदेव ने सहर्ष सोमेश्वर को परिवार सहित मुक्त किया , साथ ही उसका राज्य चक्रकोट उसे लौटा दिया !