27 दिसंबर 2019

विलुप्त होती धान मिंजाई की परंपरागत तकनीक - वंजीविश्नद, मांजन, दाँवर

विलुप्त होती धान मिंजाई की परंपरागत तकनीक - वंजीविश्नद, मांजन, दाँवर ....!

भारत कृषि प्रधान देश है किन्तु अब कृषि सिर्फ गांवो में बची हुई है। अधिकांश गांवों में खेती की पुरानी परंपरागत तरीके अब आधुनिकता की भेंट चढ़ चुके है।
नयी तकनीकों ने कृषि में उत्पादन एवं सरलता को नये आयाम तो दिये ही है किन्तु उन परंपरागत तरीको को पुरी से खत्म करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।

ट्रैक्टर के प्रयोग ने गोवंश की उपयोगिता को खत्म किया तो वहीं धान मिंजाई में भी गोवंश का स्थान थ्रेसर ने ले लिया है।
रासायनिक खादों से उत्पादन बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा हमें मौत के मुंह में ढकेल रही है। भले ही भारत के अधिकांश जगहों में खेती ने अपना आधुनिक रूप अपना लिया है किन्तु देश के कुछ इलाकों में आज भी खेती की पुरानी परंपरागत तकनीके प्रचलित है। उन क्षेत्रों में बस्तर भी शामिल है।

बस्तर के कुछ क्षेत्रों में आज भी परंपरागत तरीके से ही खेती की जाती है। ट्रैक्टर की सुलभता के कारण हल से खेत की जुताई निंदाई के दृश्य तो अब कम ही दिखते है किन्तु गांवों में धान मिंजाई का काम अभी भी गाय भैसों के जरिये ही किया जाता है।

खेतों के आस पास ही पेड़ के किनारे खाली जगह चुन ली जाती है। उस जगह को साफ सुथरा कर गोबर से लीपा जाता है। चयनित स्थल के बीचों बीच गडढा खोदकर लकड़ी का मजबूत खूंटा गाड़ दिया जाता है। इस जगह को कोठार कहा जाता है। कोठार को बेहद पवित्र माना जाता है इसमें हम चप्पल या जूते पहन कर नहीं जा सकते है।

कोठार में खूंटे के चारों ओर गोलाकार रूप में , काटे हुए धान की बालियां बिछा दी जाती है। उसके उपर खूंटे से सात आठ गाय बैल को बांध कर धान के उपर गोल गोल घुमाया जाता है। खुरों के दबाव से धान के बीज जमीन में गिर जाते है और पैरा पड़ा रह जाता है।

बाद में पैरा अलग कर धान के बीजों को बोरी में भर लिया जाता है। इस प्रक्रिया को बस्तर की स्थानीय बोलियों में मांजन कहा जाता है। वहीं गोंडी में इसे वंजीविश्नद कहा जाता है। दुसरे इलाकों में इसे दांवर कहा जाता है।
धान मिंजाई करने का यह परंपरागत तरीका सिर्फ इसीलिये चलन में है क्योंकि अभी तक ट्रैक्टर की तरह थ्रेसर गांवों में आसानी से उपलब्ध नहीं है और महंगा होना भी एक कारण है।
आगे संभव है कि गाय बैलों द्वारा धान मिंजने का तरीका सिर्फ चलचित्रों या तस्वीरों में देखने को मिलेगा।
ओम !