4 दिसंबर 2019

बस्तर के चालुक्य काकतीय राजपरिवार की वंशावली

बस्तर के चालुक्य काकतीय  राजपरिवार की वंशावली.....!

तेरहवीं सदी के अंत से चक्रकोट में नागवंशी शासको के शासन का पतन होना प्रारंभ हो गया था। चैदहवी सदी के प्रथम दशक तक चक्रकोट खंड खंड में बंट गया था। नागवंशी शासक हरिशचंद्र देव की सत्ता पर पकड़ कमजोर हो चुकी थी जिसके कारण छोटे छोटे क्षेत्रों के नाग सरदार स्वतंत्र होकर आपसे में लड़ने लग गये थे। आम जनता इन नाग सरदारों के आपसी संघर्षों के कारण बेहद ही त्रस्त हो चुकी थी। 

हरिशचंद्र देव की हुकूमत महज राजधानी के दीवारों तक चलती थी। विशाल चक्रकोट राज्य महज कुछ मीलों तक ही सीमित हो गया था। पड़ोसी राज्य वारंगल पर मलिक काफूर के आक्रमण के कारण वारंगल राज्य तहस नहस हो गया था। महान काकतीय साम्राज्य के सदस्य अन्नमदेव ने पड़ोसी राज्य चक्रकोट में आकर नागवंशी शासक हरिशचंद्र देव को पराजित कर चक्रकोट में चालुक्य काकतीय वंश की नींव डाली। सन 1324 से लेकर 1947 ई तक बस्तर में इन्ही चालुक्य काकतीय वंश के शासकों का शासन रहा। इस वंश की वंशावली विभिन्न लेखों एवं दस्तावेजों से प्राप्त होती है। 

दंतेवाड़ा स्थित दंतेश्वरी माता इस राजवंश की कुल देवी है। इस मंदिर में इस राजवंश के शासक दिक्पाल देव का शिलालेख विद्यमान है जिसमें इस राजवंश की वंशावली का उल्लेख किया गया है। यह ऐतिहासिक जानकारी दो शिलालेखो में उत्कीर्ण की गई है। एक शिलालेख में यह संस्कृत में उत्कीर्ण है वहीं दुसरे शिलालेख में यह स्थानीय बस्तरी मैथिली एवं छत्तीसगढी मिश्रित शब्दो में उत्कीर्ण की गई है। 

रायबहादुर हीरालाल इस शिलालेख के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते है। उनके मुताबिक यह शिलालेख विक्रम संवत 1760 ईस्वी सन 1703 का है। उस समय बस्तर महाराज दिकपाल देव नवरंगपुर जीतने की खुशी में कुटूम्ब सहित मंदिर में देवी दर्शन हेतु पधारे थे। उस समय हजारों बकरों एवं भैंसों की बलि दी गई थी जिसके शंखिनी नदी कुसुम के फूल के समान लाल रंग की हो गई थी। बलि का यह कार्यक्रम 05 दिन लगातार चला था। 

इस शिलालेख में राजपरिवार की वंशावली दी गई है जिसमें महाराज अन्नमराज से दिकपाल देव तक का नाम उल्लेख है।  शिलालेख में उल्लेखित शासकों के नाम क्रमशः इस प्रकार है। 
1. अन्नमराज, प्रतापरूद्र काकतीय के छोटे भाई वारंगल से बस्तर आकर राज स्थापित किया। 
2. हमीर देव 
3. भैराजदेव 
4. पुरूषोत्तमदेव
5. जयसिंहदेव
6. नरसिंहदेव
7.जगदीशराजदेव
8.वीरनारायणदेव
9. वीरसिंहदेव
10.दिकपालदेव

दिकपाल देव अपनी महारानी अजबकुमारी एवं 18 वर्षीय पुत्र युवराज रक्षपाल देव के साथ कुटूम्ब जात्रा के लिये देवी दर्शन हेतु 1703 ई में मंदिर आये थे। उपरोक्त वंशावली में नरसिंह देव के बाद प्रतापराज देव का उल्लेख नहीं किया गया है। बस्तर के विभिन्न वंशावलियों एवं इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों एवं लेखों में नरसिंह देव के बाद प्रतापराज देव का उल्लेख किया है। 

 दिकपाल देव के बाद रक्षपाल देव जो कि राजपाल देव के नाम से जाने गये, वे बस्तर के राजा बने। सन 1324 से बस्तर में चालुक्य काकतीय शासन स्थापित करने वाले अन्नमराज से के बाद  सन 1947 एवं वर्तमान तक बस्तर राजपरिवार की वंशावली कुछ इस प्रकार है:-

1. अन्नमराज, प्रतापरूद्र काकतीय के छोटे भाई वारंगल से बस्तर आकर राज स्थापित किया।
2. हमीर देव (अन्नमराज के पुत्र)
3. भैराजदेव (हमीरदेव के पुत्र)
4. पुरूषोत्तमदेव
5. जयसिंहदेव
6. नरसिंहदेव
7. प्रतापराजदेव
8. जगदीशराजदेव
9. वीरनारायणदेव
10. वीरसिंहदेव
11.दिकपालदेव
12. राजपालदेव
13. दलपतदेव
14. दरियादेव
15. महिपालदेव
16. भूपालदेव
17. भैरमदेव
18. रूद्रप्रतापदेव
19. महरानी प्रफुल्ल कुमारी (मयूरभंज के भंजदेव राजघराने के प्रफुल्लचंद्र भंजदेव से विवाह)
20. प्रवीरचंद्र भंजदेव
21. विजयचंद्र भंजदेव
22. भरतचंद्र भंजदेव
23. कमलचंद्र भंजदेव (वर्तमान में बस्तर के महाराजा)

आलेख - ओमप्रकाश सोनी दंतेवाड़ा