26 दिसंबर 2019

कांगेर घाटी की दुर्लभ हरी गुफा

कांगेर घाटी की दुर्लभ हरी गुफा.......!

बस्तर की कांगेर घाटी में अनेकों ऐसे रहस्यमयी स्थल है जिससे आज की दुनिया पुरी तरह अनजान है। कांगेर घाटी की कोटमसर गुफा विश्व प्रसिद्ध है वहीं ऐसी अनेको और भी गुफायें है जिसकी जानकारी सिर्फ वहां के ग्रामीणों को ही है।
कांगेर घाटी में कोटमसर की तरह ही अनेकों गुफायें है जहां पहुंचने का मार्ग सिर्फ वहां के स्थानीय ग्रामीणों को ही ज्ञात है। कोटमसर गुफा अपने स्टेगलाईट, अंधी मछलियों के लिये जग प्रसिद्ध है।
इसी तरह कांगेर घाटी में एक अन्य गुफा हाल के कुछ सालों में प्रकाश में आयी है इस गुफा को हरी गुफा के नाम से जाना जाता है। कोटमसर से लगभग 7 किलोमीटर की दुरी पर घने जंगलों में स्थित इस गुफा का पहुंच मार्ग सिर्फ ग्रामीणों को ही मालूम है।

गुफा का प्रवेश मार्ग भले ही सकरा है किन्तु अंदर कोटमसर गुफा की तरह विशाल कक्ष मौजूद है। इस गुफा के प्रथम कक्ष में छतों से लटकते स्टेग्लेटाइट के नमीयुक्त पत्थरों पर सूरज का प्रकाश पड़ता है और नमीयुक्त चट्टानों पर शैवाल उग आते हैं। इन्हीं शैवालों की वजह से ये चट्टानें हरी दिखाई पड़ती हैं। इसी हरे पन के कारण इस गुफा को हरी गुफा का नाम दिया गया है।
हरी गुफा की सबसे बड़ी खासियत इसका हरा होना तो है ही इसके अलावा ये बस्तर की एकमात्र ऐसी गुफा है जहां दोपहर बाद कुछ देर के लिए सूरज की रौशनी अंदर आती है। इस गुफा को अभी आम पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है।
हरी गुफा के इस शानदार छायाचित्र के लिये उमेश सिंह जी का बहुत आभार ।