अग्नि का हस्तांतरण......!
बस्तर के अन्दरुनी ग्रामीण अंचल मे आज भी चुल्हे की आग जलाने के लिये माचिस का उपयोग ना के बराबर होता है. बस्तर के घरो के चुल्हे मे जलाई गयी आग कभी बुझती नहीं है.
यदि चुल्हे की आग पुरी तरह से बूझ भी जाती है तो पड़ोसी के घर से अंगार, खपरे या पेड़ की छाल मे लायी जाती है. इस प्रकार अग्नि का यह हस्तांतरण आपसी रिश्तो मे भी गर्माहट पैदा करता है.
अग्नि का हस्तांतरण कर चुल्हा सुलगाने की परम्परा सदियों पुरानी है, जो आज भी बस्तर के ग्रामीण अंचलो मे देखने को मिलती है.

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