गर्मी से राहत देता है मंडिया पेज......!
गर्मी अपने चरम पर है। भीषण गर्मी के कारण बस्तर की धरती तप रही है। इस कारण घर से बाहर निकलने में लू लगने का खतरा अधिक रहता है। इतनी गर्मी होने के बावजूद भी यहां के स्थानीय ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ाई, अमचूर बनाने जैसे कामों में व्यस्त है। इन्हें लू लगने का सबसे अधिक खतरा रहता है।
ऐसी गर्मी में यहां के स्थानीय ग्रामीण मंडिया पेज पीकर अपने आप को लू से बचाते है। मंडिया पेज शरीर को गर्मी से निजात दिलाता है। आजकल विभिन्न प्रकार के ठंडे पेय बाजारों में उपलब्ध है किन्तु इस मंडिया पेज का कोई तोड़ नहीं है। मंडिया पेज बस्तर की आदिवासी संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। स्थानीय ग्रामीण गर्मी के दिनों में मंडिया पेज का सर्वाधिक इस्तेमाल करते है।
मंडिया को हिन्दी में रागी कहा जाता है। मंडिया के आटे को रात भर एक कटोरी में भीगा कर रखा जाता है। सुबह तक यह घोल खटटा हो जाता है। सुबह पानी में चावल डालकर पकाते है। चावल पकने पर मंडिया के घोल को उसमें डालकर अच्छे से मिलाते है। स्थानीय हलबी बोली में इसे पेज कहते हैं।
पकने पर उतारकर ठंडा करके 24 घंटे तक इसका सेवन करते हैं। इससे शरीर को ठंडकता मिलती है और भूख भी शांत होती है।ग्रीष्मकाल में शरीर के लिये जल की अधिक आवश्यकता को ग्रामीण इस पेज से पुरी करते है। मंडिया पेज गर्मी के मौसम में प्यास बुझाने के साथ-साथ सेहत के लिये स्वास्थ्यवर्धक, शक्ति वर्धक पेय का विकल्प है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी ठीक करता है।
ग्रामीण महिलायें तेज धूप में बच्चों को धूप से बचाव हेतु उनके सिर पर मंडिया आटा का लेप लगाती हैं। प्रायः यह पेज हांडी में ही रखा जाता है। ग्रामीण कार्य करने हेतु जब घरो से बाहर निकलते है तो तुम्बा में मंडिया पेज साथ में लेकर निकलते है।


0 comments:
एक टिप्पणी भेजें