सीप की मदद से तैयार करते हैं अमचूर....!
बस्तर में आमा त्योहार के पश्चात से ही कच्चे आम को तोड़ कर अमचूर बनाने का कार्य ग्रामीण शुरू कर देते हैं। प्राय देखा जाता है कि आम से अमचूर बनाने के लिये चाकू से आम छिला जाता है. किन्तु बस्तर के कुछ क्षेत्रों मे आज भी पुराने परम्परागत तरिके का उपयोग देखने को मिलता हैं. आम छिलने के लिये चाकू के बजाय सीपी का प्रयोग यहाँ बस्तर मे देखने को मिल रहा है. आम के छिलके को निकालने के लिए "गुल्ली" सीप को उपयोग में लाया जाता है।
सीप से आम को छीलने का फायदा यह होता है कि अमचूर काला नही पड़ता और अमचूर सफ़ेद साफ़ रहती है. बाज़ार में उसका आसानी ने 60 ₹ से 80 ₹ तक प्रति किलो का मूल्य मिल जाता है। आम के छिलके को उतारने के पश्चात इसके मोटे टुकड़े काट कर घर की छतों पर 15 से 20 दिन तक सुखाया जाता है, फिर तैयार हो जाता है अमचूर।
बस्तर की इमली और अमचूर दक्षिण भारत मे बेहद पसंद किए जाते हैं। परंतु इसका दुखद पहलू यह भी है कि इस वनोत्पाद पर आधारित एक भी लघु उद्योग बस्तर में नही है। यदि वनोत्पाद आधारित उद्योग यहां स्थापित होता तो स्थानीय ग्रामीणों को अधिक आय होती,और बिचौलियों से मुक्ति मिलती।
पोस्ट एवं छायाचित्र साभार - @Shakeel Rizvi जी

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