2 मई 2019

कुआं नही है ये है चुआं

कुआं नही है ये है चुआं.....!

ये कुआं नहीं है चुआं है। कुआं का छोटा भाई चुंआ। बहुत से लोग कुएं के छोटे भाई चुएं को बिलकुल भी नहीं जानते है। बस्तर में आपको कुएं कम चुएं अधिक मिलेगे। दस हाथ गहरे और पानी से लबालब भरे ये चुऐं ही ग्रामीणों के लिये परम्परागत जल स्रोत है। इन चुओं से पानी पीने में ग्रामीणों की कई पीढ़ियां बीत गई है। नदी के किनारे वाले ग्रामीण बस्तियों में बस दस हाथ जमीन खोदते ही पानी निकल आता है। 

आसपास की मिटटी कई चुएं में ना गिर जाये, इसलिये सागौन  के पाटे चुएं के अंदर चारों तरफ लगाये जाते है। चुएं के और भी छोटे रूप भी देखे जा सकते है। जमीन से फूटते किसी फव्वारे पर पेड़ का खोखला तना लगा दिया जाता है और फिर उस पानी का उपयोग घरेलु कार्यो में किया जाता है। बस्तर में कुछ क्षेत्रों में इस चुआं  तो कुछ जगहों में तुम भी कहा जाता है। 
ग्राम बेंगलूर का एक चुआं .... फोटो ओम सोनी

बस्तर के परंपरागत जलस्रोतों में नदी तालाब के बाद तीसरा नाम चुआं का ही आता है। बड़े कुएं तो कभी देखने को भी नही मिलते है। जब दस हाथ में पानी निकल जाये तो गहरे कुओं की क्या जरूरत। हैंडपंप और बोरवेल के जमाने में आज भी चुएं सबसे आगे है। 

बस्तर का मौसम भी तेजी से बदल रहा है। साल दर साल इंद्रावती सुखती जा रही है जिसके कारण चुओं का पानी कम होता जा रहा है। चुओं की जगह बोरवेल लेता जा रहा है। वन कट रहे है इंद्रावती मर रही है और पानी कम हो रहा है। ये हालात बस्तर के लिये बड़े ही घातक सिद्ध होंगे। पेड़ों को बचाना है, ओडिसा में बने बांधों से इंद्रावती को भी बराबर का पानी मिलना आवश्यक है नहीं तो इंद्रावती दम तोड़ देगी और उसके साथ ही चुएं भी पुरानी बाते हो जायेगे।