बस्तर की चित्रकला.....!
बस्तर मे चित्रकला लाखो सालो से चली आ रही है. बस्तर की धरती मे आदिमानवो के द्वारा बनाये हुए सैकड़ों शैल चित्र आज भी देखे जा सकते हैं. कांकेर से लेकर बीजापुर तक शैल चित्रो की लम्बी फ़ेरहिस्त है.
आदिमानव युग की चित्रकला आज भी बस्तर मे जीवित है. फ़र्क इतना आदिमानवो ने चित्र चट्टानों पर उकेरे और आज उनके वंशज घर की दीवारो और मृतक स्मारको पर चित्रकारी करते हैं.
यहाँ के चित्रो मे मौलिकता के साथ साथ आदिवासी संस्कृति की छाप दिखलाई पड़ती है जो कि बस्तर चित्रकला की मुख्य विशेषता है. मृतक स्तम्भो पर बनाये गये चित्रो से सामाजिक स्थिति को समझने मे मदद मिलती है. आज भी बस्तर की चित्रकला का संसार मृतक स्मारको पर ही देखने को मिलता है.
भित्तिचित्रकला मे भी बस्तर के चितेरे काफ़ी माहिर है. ग्रामीण क्षेत्रों मे आज भी घरो की दीवारो पर बस्तर की खूबसूरती के रंग देखने को मिलते है.
यहाँ के चित्रकला की बात ही निराली है... आदिम संस्कृति की असली रंगीन दुनिया इन्ही चित्रो मे ही समाहित है.
ओम सोनी.



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