21 मई 2020

भूमकाल की प्रतीक - लाल साहब की कटार

भूमकाल की प्रतीक - लाल साहब की कटार...! 
भूमकाल की तैयारियाँ गुप्त रुप से चल रही थी. विभिन्न आदिवासी नेता, गुण्डाधुर, लाल कालेन्दर सिंह सरिखे भूमकाल के मुख्य नेता अलग अलग मोर्चो पर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भूमकाल के लिए मोर्चाबन्दी कर रहे थे. गुण्डाधूर बस्तर के महान भूमकाल का नायक था तो वही बस्तर रियासत के भूतपूर्व दीवान लाल कालेन्दर सिंह का भूमकाल को समर्थन था.लाल कालेन्दर सिंह बस्तर महाराज भैरमदेव के चचेरे भाई एवं भूमकाल के समय बस्तर राजा रुद्रप्रताप देव के चाचा थे. 1842 इस्वी मे बस्तर के राजा महाराजा भूपालदेव थे. इनके छोटे भाई लाल दलगंजन सिंह थे जिन्होने तारापुर विद्रोह मे मुख्य भूमिका निभाई थी.भूपालदेव के पुत्र भैरमदेव बस्तर राजा बने वही दलगंजन सिंह के पुत्र कालेन्दर सिंह बस्तर के दीवान बने. लाल साहब का मुख्यालय ताडो़की था. उन्हे कर मुक्त 35 गाँव दिये गये थे.
भूमकाल की अन्तिम योजना अनुसार साल 1910 के जनवरी महिने मे अन्तागढ के पास ताडो़की मे आदिवासी नेताओ और लाल कालेन्दर साहब ने गुप्त महा सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन मे आदिवासियो ने बस्तर को ब्रिटिश परतंत्रता से मुक्ति दिलाने हेतु संकल्प लिया गया.उक्त सम्मेलन के बाद ताडो़की के स्थानीय देवी मन्दिर मे हरचंद नायक नामक स्थानीय पुजारी ने लाल साहब तथा आदिवासियो के साथ सामूहिक पूजा की तथा सभी ने यह संकल्प लिया कि देवी दंतेश्वरी के वस्त्र मे दाग नहीं लगने देगे.पूजा के बाद लाल कालेन्दर सिंह ने आदिवासी नेताओ को एक कटार भेंट की. यह कटार महान विप्लव मे उनके समर्थन की एक प्रतीकात्मक वचनबद्धता थी. यह कटार एक हाथ से दुसरे हाथ, तथा एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र से गुजरते गयी और गुजरने का अर्थ था - आदिवासियो को शस्त्र उठा लेने का आव्हान.यह कटार जहाँ जहाँ पहुँची, वहां वहां के लोगों ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह मे स्वयम् को झोक दिया था. माना गया कि कटार मंत्रशक्ति से अभिचारित थी और देवी दंतेश्वरी का प्रतीकात्मक आदेश था - असुरो का संहार करो. कालान्तर मे यह कटार सुकमा जमीदार के दीवान जनकैय्या के हाथ मे आयी और जनकैय्या ने अपनी ब्रिटिश प्रतिबद्धता के कारण इसके प्रचार को रोक दिया.तदनुसार सुकमा के दक्षिण मे यह कटार नहीं पहुंच पायी, जिससे वहां विद्रोह की तीक्षणता का अहसास नहीं हुआ. भूमकाल के दमन के लिये जब सेना की टुकडी सुकमा पहुँची तो उन्होंने लाल साहब की कटार जब्त कर ली.इसके बाद उस कटार की कोई जानकारी नहीं.प्रस्तुत कटार का चित्र सांकेतिक है.
आलेख - ओमप्रकाश सोनी