21 मई 2020

"भगवान सूर्य" की सजीव प्रतिमा

"भगवान सूर्य" की सजीव प्रतिमा....!
शिल्पी ने प्रतिमा का निर्माण पुरा मन लगाकर किया है जिससे प्रतिमा ऐसी जीवन्त बन गयी है कि लगता है भगवान सूर्य अभी अपने नेत्र खोलकर पुरे संसार मे ऐसी रोशनी बिखेर देगे जिससे हर प्राणी मात्र तृप्त हो जायेगा. एक ग्राम मे अपेक्षित इस सजीव प्रतिमा के मुख मण्डल मे ऐसा आकर्षण बस्तर के किसी प्रतिमा मे देखने को नहीं मिला. यह जीवित सी लगने वाली प्रतिमा भगवान सूर्य की है. प्रतिमा मे दोनो हाथ खंडित है किन्तु कन्धे पर कमल की कलियों के अंकन से प्रतीत होता है कि दोनों हाथो मे सनाल कमल कलियाँ धारित रही होगी.
चरणो मे भगवान सूर्य की अन्य प्रतिमाओ की तरह लम्बे बूट का अभाव है. हालाकि नाग शासन काल मे निर्मित यह प्रतिमा प्रकृति और उपेक्षा की मार से क्षरित हो गयी है तथापि इसके मुख मण्डल का अप्रतिम सौन्दर्य अभी भी काफी प्रभाव शाली है. सिर पर मुकुट धारण किये और कानो मे बड़े बड़े कुण्डल पहने हुए सूर्य देव की प्रतिमा रौद्र एवं सौम्यता का मिश्रित भाव लिये हुए है. एक तरफ अधिक क्षरित होने के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान सूर्य क्रोधित है एवम वही दुसरी तरफ से सौम्यता का भाव स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है. उस शिल्पकार को नमन जिसने इस जीवन्त प्रतिमा का निर्माण किया.
ओम्
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