कांकेर महाराजाधिराज कोमलदेव का जीवन परिचय...!
कांकेर के राजा पदमसिंह की मृत्यु के बाद 1853 इस्वी मे उनके अल्पायु पुत्र नरहरदेव कांकेर के राजा बने. नरहरदेव ने लगभग 50 वर्ष तक कांकेर मे शासन किया. उनके पुत्र की अकाल मृत्यु के बाद नरहरदेव ने 1902 के दिल्ली दरबार मे अंग्रेजी सरकार को कांकेर राज्य के वारिस के तौर पर तीन लोगो के नाम का सुझाव दिया था. पहला नाम अपने भतीजे कोमलदेव जो कि नरहरदेव के भाई घनश्याम देव के पुत्र थे. कोमलदेव का जन्म 1873 इस्वी मे हुआ था जो बाद मे राजा बने. दुसरे हकदार के तौर पर अपनी बेटी के पुत्र रघुनाथ सिंह देव और तीसरे हकदार के तौर पर अपने भाँजे तत्कालीन बस्तर दीवान लाल कालिन्दर सिंह का. 1903 इस्वी मे नरहरदेव की मृत्यु हो गयी, उसके बाद अंग्रेजी सरकार ने कांकेर के कंकालीन भाटा मे दरबार लगाकर कोमलदेव को राज्य के अधिकार सौप दिये. कोमलदेव को कांकेर के महाराजाधिराज की पदवी से विभूषित कर 1904 मे उनका राज्याभिषेक किया गया और वे कांकेर रियासत के राजा बन गये.कांकेर राजा कोमलदेव ने तीन विवाह किये थे पहला विवाह लांजीगढ की रानी पदमालय से, दुसरा विवाह बड़गाँव (महासमुन्द) के कल्चुरी जमीदार खेमसिंह की कन्या शिवनन्दिनी से जो कि बड़गहिन रानी के नाम से जानी गयी और तीसरा विवाह 1915 इस्वी मे खरियार राज परिवार की कन्या शोभा मंजरी देवी से किया था. पहली रानी से उनकी आठ सन्ताने हुई जिसमे कोई भी जीवित नहीं बची. तीसरी रानी से एक पुत्री हुई जिसका नाम गोविन्द कुमारी रखा गया.महाराजाधिराज कोमलदेव न्याय प्रिय एवं कुशल प्रशासक थे. उन्होने दीवान राम कृष्ण राव के सहयोग के नवीन भूमि बन्दोबस्त लागू किया. अंग्रेजी शिक्षा के लिये हाईस्कुल, कन्याओ के लिये पुत्री शाला एवं रियासत भर मे 15 प्रायमरी स्कुल खोले. सम्बलपुर और कांकेर मे दो अस्पताल बनवाये. कचहरी के दक्षिण पूर्व मे रानी बड़गहिन के लिये एवं कचहरी के पश्चिम मे रानी शोभा मंजरी एवं पदमालया देवी के लिए महल बनवाये. राधानिवास बाग लगवाकर उसने सुन्दर डाक बंगला बनवाया. कोमलदेव ने 1921 इस्वी अपनी एक मात्र पुत्री गोविन्दकुमारी के नाम पर कांकेर के समीप गोविन्दपुर बसाया. उन्होने गोविंदपुर को रियासत की राजधानी बनाने का प्रयत्न किया था. उन्होंने गोविंदपुर मे रहना प्रारम्भ किया. अपराधियो को दंड देने के लिए गोविंदपुर मे एक चबुतरा बनवाया जिस पर बैठ कर वे अपराधियों को दण्ड देते थे. अपनी पुत्री के जन्मदिन पर प्रतिवर्ष गोविंदपुर मे मेले का आयोजन किया. कोमलदेव ने अपने पुत्र के अभाव मे अपनी पुत्री महाराजकुमारी गोविंदकुमारी को उत्तराधिकारी बनाने के लिये अंग्रेजी सरकार को दरख्वास्त भेजी किन्तु यह सब व्यर्थ गया. 1925 इस्वी मे कोमलदेव की मृत्यु के बाद उनके गोद लिये पुत्र भानूप्रतापदेव कांकेर के राजा बने. भानूप्रताप देव छोटी रानी शोभा मंजरी देवी के बहन के बेटे अश्विनी शाह थे जो कि छोटा नागपुर राजा के पौत्र थे.
आलेख... ओम प्रकाश सोनी
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