- देव डांग का अभिन्न अंग - कलश....!
मन्दिरो के शिखर पर कलश स्थापना की परम्परा सदियों पुरानी है. यह कहे कि शिखर पर स्थित कलश मंदिर का अभिन्न भाग होता है. प्रस्तर निर्मित कलश की बनावट धातु से बने कलश एवं उसमे स्थापित नारियल के सदृश्य होती है.
इसी तरह बस्तर मे देव लाट, विमन, डांग अर्थात लम्बी ध्वज पताकाओ के शिखर पर भी धातु निर्मित कलश लगाया जाता है. ये आकार मे छोटे बड़े हो सकते है. नुकीले कलश मे चारो तरफ़ धातु की पत्तियाँ या घुँघरु लटकते रहते है.ये कलश बस्तर के घड़वा शिल्प कला के शानदार उदाहरण है.
बस्तर के सभी मेले, मड़ई, जात्रा मे विभिन्न देवी देवताओ के प्रतीक लाट , डांग, ध्वज भी शामिल होते है. ये सभी कलश से सुशोभित होते है. बस्तर की दैविय शक्तियो मे कलश भी अभिन्न अंग है.
यहाँ बस्तर मे लोग मनौती के पूरा होने पर देवी -देवताओं को कलश भी चढ़ावे में चढ़ाते हैं।



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