18 मई 2020

और कुछ ऐसे बनी राजधानी जगदलपुर

और कुछ ऐसे बनी राजधानी जगदलपुर....!

बस्तर मे चालुक्य काकतीय शासको ने 1324 इस्वी से 1947 तक अपने शासनकाल में विभिन्न राजधानियो से सुचारु रुप से शासन संचालित किया. बस्तर मे चालुक्य काकतीय राजवंश के संस्थापक अन्नमदेव  ने मधोता को अपनी राजधानी बनाया. इस राजवंश के चौथे नृपति पुरुषोत्तम देव (1468 ई से 1534 ई) ने बस्तर को अपनी राजधानी बनाया. बस्तर महाराज दलपतदेव (1731 ई से 1774 ई) तक बस्तर ग्राम राज्य की राजधानी रहा. 
दलपतदेव के शासन काल मे सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ मराठो के आक्रमणो से त्रस्त था. 1770  ईस्वी मे भोसले सेनापति नीलू पण्डित ने बस्तर पर आक्रमण किया.  बस्तर राजा दलपतदेव ने डटकर मराठा सेना का मुकाबला किया. बस्तर की सेना के सामने मराठो को घुटने टेकने पड़े. नीलू पण्डित बंजारे की मदद से जान बचाकर भाग निकला.  कुछ दिनों बाद मराठो ने पुनः संगठित होकर बस्तर पर चढ़ाई कर दी.  सहसा हुए इस हमले मे दलपत देव को जान बचाकर भागना पड़ा. (ग्लसफ़र्ड पैरा 159, बस्तर का मुक्ति संग्राम -हीरालाल शुक्ल)अब दलपत देव को राजधानी परिवर्तित करने की आवश्यकता महसूस होने लगी. 1770 ई मे दलपतदेव ने बस्तर की जगह जगदलपुर को अपनी राजधानी बनायी.(हल्बी ग्रामर 1945). राजधानी परिवर्तन के अनेक किंवदन्ती बस्तर मे प्रचलित है.  एक बेहद रोचक किंवदन्ती का उल्लेख केदारनाथ ठाकुर ने बस्तर भूषण मे किया है. कहा जाता है कि महाराज दलपत देव अक्सर शिकार खेलने जाया करते थे.  उनके पास दो अच्छे शिकारी कुत्ते भी थे.एक बार साथियो सहित उन दोनों कुत्तो को लेकर वे इन्द्रावती के दक्षिण किनारे पर शिकार खेलने गये. जंगल मे उन्हे एक खरगोश मिला. दोनों कुत्ते खरगोश पर झपटे,  परंतु देवयोग से ख़रगोश ने उन दोनो कुत्तो को डरा दिया. महाराज को यह देखकर बेहद आश्चर्य हुआ. महाराज ने राजधानी वापस आकर अपने सभासदो से इस घटना के बारे चर्चा की.सभासदो ने उस क्षेत्र की जलवायु एवं प्रभाव को विलक्षण बताया. तदनुसार महाराज ने निश्चय किया कि राजधानी उसी स्थान मे परिवर्तित कर दी जाये. इस प्रकार बस्तर को छोड़कर जगदलपुर को अपनी राजधानी बनाया. (संदर्भ बस्तर भूषण - केदारनाथ ठाकुर) इसप्रकार महाराज दलपतदेव ने 1770 ईस्वी मे जगदलपुर को बस्तर राज्य की राजधानी बनाया. जगदलपुर मे राजधानी परिवर्तन के तीन साल बाद दलपत देव की मृत्यु हो गयी. 1770 ईस्वी से 1947 ईस्वी मे महाराज प्रवीर चन्द्र भँजदेव के काल तक जगदलपुर को राजधानी का गौरव प्राप्त रहा. जगदलपुर की जलवायु वाकई मे पुरे बस्तर मे सर्वोत्तम है. सिर्फ़ एक ख़रगोश ने महाराज को जगदलपुर की महत्ता समझा दी थी. 

ओमप्रकाश सोनी